MIT ने इस्तेमाल की एक नई तकनीक, जिससे मंगल पर खोजा जाएगा जीवन
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने नए मंगल रोवर को जल्दी और गैर-इनवेस्टीबल रॉक एंड मिट्टी के नमूनों को पहचानने में मदद करने के लिए एक नई स्पेक्ट्रोस्कोपिक विधि विकसित की है।
ये चट्टानें अपेक्षाकृत अनछुए हैं और लाल ग्रह पर सूक्ष्म जीवों के जीवन के साक्ष्य को खोजने के अवसरों को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। कार्बन पत्रिका में प्रकाशित एक पेपर में वर्णित नई तकनीक रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के परिणामों की व्याख्या में बेहतर तरीके से आधारित है। ये प्राचीन चट्टानों के रासायनिक संरचना की पहचान करने के लिए भूवैज्ञानिकों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक आम, गैर विनाशकारी प्रक्रिया है।
रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग आमतौर पर यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि क्या नमूना कार्बनयुक्त पदार्थ होता है। कार्बनयुक्त पदार्थ की उपस्थिति से पता चलता है वहां जीवन की संभावना हो सकती है। नई स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीकों में सुधार से शोधकर्ता अब एक नमूने में कार्बन परमाणुओं के हाइड्रोजन के अनुपात का भी अनुमान लगा सकते हैं।
हाइड्रोजन को यह निर्धारित करने के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है कि कोई विशिष्ट नमूना प्राचीन या नहीं है। यदि नमूना कम हाइड्रोजन होता है तो संभव है कि इसके पास अधिक हीटिंग का अनुभव हो।

इससे कार्बनिक पदार्थ में रसायनिक परिवर्तन के बारे में पता चलता है।
अपनी नई तकनीक का परीक्षण करने के लिए शोधकर्ताओं ने तलछट के नमूनों का विश्लेषण किया। जिनकी रासायनिक संरचना पहले से ही ज्ञात हैं। इसके अलावा प्राचीन केरोजेन का अतिरिक्त नमूने का इस्तेमाल किया गया था। रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी की उनकी बेहतर व्याख्या का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने नमूनों के मूल अनुपात के अनुरूप कार्बन को हाइड्रोजन का अनुपात प्राप्त करने में सक्षम थे।
एमआईटी में पृथ्वी, वायुमंडलीय और ग्रह विज्ञान के प्रोफेसर रोजर समन्स ने एक बयान में कहा कि यह तय करने में मदद मिलेगी कि 2020 के रोवर के संग्रह का संग्रह क्या होगा।

यह तलछटी में संरक्षित कार्बनिक पदार्थ की तलाश में होगा। और यह पृथ्वी पर संभावित वापसी के लिए नमूने के अधिक सूचित चयन की अनुमति देगा।
अब घास से बनाई जाएगी एनर्जी, जानें इस तकनीक के बारे में
जिस तरह से पूरे विश्व में एनर्जी की डिमांड बढ़ रही है उसके देखते हुए वैज्ञानिक ग्रीन एनर्जी पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। एक नए अध्ययन से पता चला है कि शोधकर्ताओं ने अब घास से एनर्जी बनाने में सफलता हासिल कर ली है। Royal Society journal Proceedings में छपे एक अध्ययन के मुताबिक कार्डिफ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने घास से हाइड्रोजन बनाने का रास्ता खोज लिया है। इसके लिए सिर्फ धूप और प्रभावी कैटेलिस्ट की आवश्यकता होगी।
हाइड्रोजन को भविष्य में काम आने वाली महत्वपूर्ण ऊर्जा के रूप में माना जाता है। क्योंकि दुनिया आने वाले समय में अब जीवाश्म ईंधन से रीन्यूबल एनर्जी की तरफ बढ़ रही है। और अब शोध से पता चलता है कि इसके लिए घास एक बहुत ही अच्छा विकल्प हो सकता है। दुनिया में लगभग सभी संसाधनों में हाइड्रोजन पाई जाती है जैसे पानी, कार्बनिक पदार्थ, आने वाले समय में इनसे ऊर्जा पैदा की जा सकती है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने ये माना है कि इन सब का इस्तेमाल अभी प्रभावी तरीके से नहीं हो पाया है।
ग्रीन एनर्जी बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने जिस प्रोसेस को काम में लिया है उसे photoreforming कहा जाता है। इस प्रोसेस में सूर्य के प्रकाश में एक कैटेलिस्ट की मदद से सेल्यूलोज को कार्बनिक कंपाउंड्स में बदल दिया जाता है जो कि हाइड्रोजन में बदल जाता है। इस प्रोसेस से बहुत ही सस्ते कैटेलिस्ट की मदद से हाइड्रोजन बनाई जा सकती है। इसके अलावा, बगीचे में पाई जाने वाली घास का असल में उपयोग किया जा सकता है।
यह पहली बार है कि इस तरह के कच्चे बायोमास को हाइड्रोजन में बदला जा रहा है क्योंकि इस प्रोसेस में सेलूलोज़ को कई स्टेज में साफ करने की आवश्यकता नहीं होती है। जो कि कठिन और महंगा दोनों होता है। अध्ययन के बाद हाइड्रोजन प्राप्त करने के इस स्थायी तरीके से आगे की रीसर्च के लिए दरवाजे खुल गए हैं। जो कि पर्यावरण के लिए अनुकूल माने जा रहा है।
आ गया कपड़ों का पावरहाउस
एक नये हाई टेक रेशे की खोज हुई है जो खींचने या फिर मोड़ने पर बिजली पैदा कर सकता है. रिसर्चरों का कहना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल कर भविष्य में समंदर की लहरों से भी शहर रोशन करने लायक बिजली पैदा होगी.वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल का कहना है कि उन्होने एक ऐसा लचीला रेशा बनाने में कामयाबी पायी है जो कार्बन नैनोट्यूब से बना है. इन बेहद छोटे छोटे कार्बन कणों का आकार इंसान के बाल की तुलना में 10 हजार गुना छोटा है. यह कई प्राकृतिक स्रोतों से बिजली पैदा करने में सक्षम है. यह सागर की लहरों और इंसानी गतिविधियों का इस्तेमाल कर ऊर्जा पैदा करता है. साइंस जर्नल में छपी स्टडी के प्रमुख लेखक कार्टर हाइन्स का कहना है, "ट्विस्ट्रॉन हार्वेस्टर्स के बारे में आसानी से आप इस तरह सोच सकते हैं कि आपके पास एक रेशा है. आप इसे खींचते हैं और इसमें से बिजली निकलती है." जर्नल के मुताबिक नैनोट्यूब क्षमता का उपयोग करके उपकरण स्प्रिंग जैसी गति को विद्युत ऊर्जा में बदल देता है. इसे कई जगहों पर इस्तेमाल किया जा सकता है. लैब में टेस्ट के दौरान एक मक्खी से भी कम वजनी रेशे ने छोटी सी एलईडी लाइट जलाने लायक ऊर्जा पैदा की. जब इन्हें टीशर्ट में लगाया गया तो यह सांसों की गति के साथ सीने के उठने और बैठने का इस्तेमाल कर ब्रीदिंग सेंसर चलाने लायक ऊर्जा पैदा करने में कामयाब रहा.

ब्रीदिंग सेंसर का इस्तेमाल बच्चों पर निगरानी रखने में किया जाता है. डैलस की टेक्सस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रे बाउमन इस रिसर्च में भी शामिल थे. उनका कहना है कि इन रेशों का इस्तेमाल इंटरनेट से जुड़े रहने वाले स्मार्ट कपड़ों को बनाने में किया जा सकता है. उन्होंने कहा, "इलेक्ट्रॉनिक कपड़ों में व्यापार जगत की गहरी दिलचस्पी है लेकिन आप उन्हें ऊर्जा कैसे देंगे.

इंसान की गति से विद्युत ऊर्जा पैदा करने से बैटरी की जरूरत खत्म हो जायेगी." हालांकि ट्विस्ट्रॉन का सबसे शानदार गुण है समंदर के पानी में काम करना और सागर की लहरों से भारी मात्रा में ऊर्जा पैदा करना. दक्षिण कोरिया में हुए परीक्षण के दौरान देखा गया कि एक छोटा सा ट्विस्ट्रॉन जब एक डूबने उतराने वाली चीज के बीच में लगाया गया, तो हर लहर के साथ रेशे खिंचने पर उसने बिजली पैदा की. बाउमन का कहना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल भविष्य में समुद्री बिजली घरों को बनाने में किया जा सकता है और तब यह पूरे शहर को रोशन करने लायक बिजली भी पैदा कर सकता है. हालांकि फिलहाल यह तकनीक काफी महंगी है.

पेरिस जलवायु समझौते के तहत अमीर और गरीब देशों ने ग्रीन हाउस गैसों की भारी मात्रा में कटौती की कसम खायी है. आमतौर पर ये गैस जीवाश्म ईंधन को जलाने से पैदा होती हैं और वैज्ञानिक इन्हें धरती के बढ़ते तापमान के लिए जिम्मेदार मानते है. ट्विस्ट्रॉन इंसानों की जीवाश्म ईंधन पर से निर्भरता कम कर सकता है. एनआर/आरपी (रॉयटर्स)
342 रुपए में 28 जीबी डाटा और अनलिमिटेड कॉलिंग का ऑफर दे रही है ये कंपनी
नई दिल्ली।
रिलायंस जियो ने हैप्पी न्यू ईयर ऑफर के खत्म होने से पहले ही अपना नया जियो प्राइम मेंबरशिप प्लान ऑफर कर दिया। यूजर्स हर महीने 303 रुपए खर्च करके मार्च 2018 तक हैप्पी न्यू ईयर ऑफर का लाभ ले पाएंगे। जियो के इस प्लान के चलते अब देश की दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनियों वोडाफोन और आइडिया ने अपने प्रीपेड कस्टमर्स के लिए डेली डेटा बेनिफिट्स और अनलिमिटेड वॉइस कॉल्स के ऑफर पेश किए हैं।
वोडाफोन इंडिया ने जियो के 303 रुपए के प्राइम ऑफर के मुकाबले में 342 रुपए का वेलकम बैक ऑफर पेश किया है। इस प्लान के तहत 342 रुपए में अनलिमिटेड कॉलिंग के साथ साथ 28 जीबी डाटा हर महीने दिया जाएगा। इस ऑफर के तहत कस्टमर्स हर दिन 1 जीबी डाटा यूज कर सकते हैं। वोडाफोन के प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई सेगमेंट के ऑफर्स दे रही है। यह भी इसी तरह का एक ऑफर है। वोडाफोन इस प्लान को फिलहाल 15 मार्च तक टेस्ट करेगी।

जो कस्टमर्स 15 मार्च से पहले इस प्लान को रिचार्ज करेंगे,उनको यह ऑफर दिया जाएगा। अगर कोई कस्टमर 15 मार्च से पहले रीचार्ज कराता है तो उसे एडिशनल 28 दिनों के लिए फ्री ऑफ कॉस्ट एक जैसे लाभ मिलेंगे। यह स्कीम प्रीपेड ग्राहकों के लिए है। यह प्लान लेने वाले ग्राहक को अगले 11 महीने के लिए समान प्लान के साथ रीचार्ज करने की मंजूरी मिलेगी।

यही नहीं कंपनी ने प्रीपेड यूजर्स के लिए 346 रुपए का प्लान भी पेश किया है। इसके तहत 28 दिन में 10 जीबी डेटा और अनलिमिटेड कॉलिंग की सुविधा मिलेगी। आइडिया ने भी नया प्लान पेश किया है। इसके तहत 348 रुपए में अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग की सुविधा दी जा रही है।

इसके अलावा 28 दिनों की वैलिडिटी के साथ हर दिन 500 एमबी का डाटा दिया जाएगा।कंपनी की प्रवक्ता ने कहा,यह सेगमेंटेड ऑफर है, जिसे 4 जी हैंडसेट यूज करने वाले लोगों के लिए खासतौर से पेश किया गया है।
ये कंपनी 339 रुपए में दे रही है 2 जीबी डेटा और अनलिमिटेड कॉलिंग
जयपुर।
रिलायंस जियो को टक्कर देने के लिए बीएसएनएल ने भी अपने कुछ प्लान में बदलाव किए हैं। कंपनी 339 रुपए के प्लान में 2जीबी डाटा और बीएसएनल टू बीएसएनएल (फ्री)अनलिमिटेड कॉलिंग दे रही है। दूसरे नेटवर्क पर कॉल करने के लिए हर दिन 25 मिनट फ्री मिलेंगे,जिसके बाद 25 पैसा प्रति मिनट चार्ज किया जाएगा। इस प्लान की वैलिडिटी 28 दिन की है।
बीएसएनएल का 339 रुपए वाला पैक बिना किसी मेंबरशिप के ले सकते हैं। पहले इस प्लान में 28 दिन के लिए 1 जीबी डेटा और बीएसएनएल टू बीएसएनएल अनलिमिटेड कॉलिंग की सुविधा दी जा रही थी। 99 रुपए के प्लान में बीएसएनएल टू बीएसएनएल फ्री कॉलिंग और 500 एमबी डेटा हर रोज दिया जा रहा है। इसकी वैलिडिटी भी 28 दिनों की है। पहले इसमें 300 जीबी डेटा दिया जाता था। बीएसएनल ने मार्च महीने के लिए ऑफर लॉन्च किया है,जिसमें यूजर्स अगर इसी महीने रिचार्ज करवाते हैं तो उन्हें एक साल के लिए अनलिमिटेड कॉलिंग और 1जीबी डेटा हर दिन मिलेगा। इस ऑफर के बारे में कस्टमर केयर पर बात करनी होगी।

एयरटेल 145 रुपए में 300 एमबी और 499 रुपए में सिर्फ 4जीबी डेटा देता है। हालांकि बीएसएनएल 3जी डेटा दे रहा है। एयरटेल के 345 रुपए के प्लान में लोकल और एसटीडी कॉल फ्री और 1जीबी डेटा हर दिन मिलेगा। इसमें 500 एमबी दिन में और 500 एमबी रात में मिलेगा।

पिछले महीने रिलायंस ने जियो प्राइम की घोषणा की थी। इसके मुताबिक 31 मार्च तक जियो की फ्री सर्विस के बाद 1 अप्रेल से टैरिफ प्लान शुरू हो जाएगा। इसमें 99 रुपए देकर मेंबरशिप लेने वाले यूजर्स एक साल तक यानी 31 मार्च 2018 तक हर महीने 303 रुपए देकर रोजाना 1जीबी डेटा यूज कर सकेंगे और किसी भी नेटवर्क पर फ्री कॉल कर सकेंगे। प्राइम मेंबर्स बनाने का काम 1 मार्च से 31 मार्च के बीच किया जा रहा है।